मध्यप्रदेश के हरदा गांव के एक निवासी दत्तोपंतजी सांईंबाबा के बहुत बड़े भक्त थे। वे लगभग 14 वर्ष से पेट दर्द की पीड़ा से परेशान थे। उन्होंने हर तरह का इलाज कराया लेकिन उनकी पीड़ा का समाधान नहीं हुआ। सांईंबाबा की प्रसिद्धि की चर्चा सुनकर वे भी बाबा के दर्शन के लिए शिर्डी पहुंच गए।
उन्होंने बाबा के चरणों में सिर रखकर कहा कि बाबा इस पेट दर्द ने मुझे इतना परेशान करके रख दिया है कि मैं अब दर्द सहने के लायक ही नहीं रखा। इस जन्म में मैंने कोई गुनाह नहीं किया। हो सकता है कि यह मेरे पिछले किसी जन्म का कोई पाप हो, जो अब तक मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा है।
बाबा ने दत्तोपंत की ओर प्रेमपूर्ण भाव से देखकर उसके सिर पर वरदहस्त रखा और कहा कि अच्छे हो जाओगे। फिर बाबा ने उन्हें ऊदी भी दी। बाबा के आशीर्वाद और ऊदी प्रसाद से वे पूरी तरह स्वस्थ हो गए। फिर उन्हें भविष्य में कभी कोई रोग और शोक नहीं हुआ। कहते भी हैं कि ‘पहला सुख निरोगी काया।